परछाई
परछाई मेरी साथिन है।गम मे, खुशी में ।हर वक्त साथ चलती है । मेरा हाथ पकड़कर, आश्वासन देती है कमसकम एक तो पक्की सहेली है
परछाई मेरी साथिन है।गम मे, खुशी में ।हर वक्त साथ चलती है । मेरा हाथ पकड़कर, आश्वासन देती है कमसकम एक तो पक्की सहेली है
हर रोज़ सवेरा होता है मुर्दाघर की कतारें लम्बी होती जाती है |चीखता है मनकैसी आपदा है यह? क्या इंसान ने कभी सोचा था हवा
The human touch’s missing,That tight embrace,Pat on the shoulder,Clenched fists. Is it the new normal? Pain often felt.What does the future look like?The direction in
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