परछाई
परछाई मेरी साथिन है।गम मे, खुशी में ।हर वक्त साथ चलती है । मेरा हाथ पकड़कर, आश्वासन देती है कमसकम एक तो पक्की सहेली है
परछाई मेरी साथिन है।गम मे, खुशी में ।हर वक्त साथ चलती है । मेरा हाथ पकड़कर, आश्वासन देती है कमसकम एक तो पक्की सहेली है
हर रोज़ सवेरा होता है मुर्दाघर की कतारें लम्बी होती जाती है |चीखता है मनकैसी आपदा है यह? क्या इंसान ने कभी सोचा था हवा
My first video interview. Thanks to the entire team of Hitech TV for this great opportunity.
हिंदी कविता सुनने से एक अलग सी ख़ुशी मिलती है| हिंदी कविता की अपनी अद्वितीय मिठास है| हाल ही में मैं ‘मशाल’ नामक एक लेखकों के संगठन
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