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परछाई

परछाई मेरी साथिन है।गम मे, खुशी में ।हर वक्त साथ चलती है । मेरा हाथ पकड़कर, आश्वासन देती है कमसकम एक तो पक्की सहेली है

उम्मीद

हर रोज़ सवेरा होता है मुर्दाघर की कतारें लम्बी होती जाती है |चीखता है मनकैसी आपदा है यह? क्या इंसान ने कभी सोचा था हवा

हिंदी कविता : मेरी आकांक्षा

हिंदी कविता सुनने से एक अलग सी ख़ुशी मिलती है| हिंदी कविता की अपनी अद्वितीय मिठास है| हाल ही में मैं ‘मशाल’ नामक एक लेखकों के संगठन